उत्तराखंड में निवेश, रोजगार और किसानों का विकास सुनिश्चित करेगी धामी सरकार की आबकारी नीति, पहाड़ में वाइनरी लगाने वालों को 15 साल तक आबकारी शुल्क में छूट से पहाड़ों पर बढ़ेगा निवेश, स्थानीय युवाओं को पहाड़ों पर ही मिलेगा रोजगार, माल्टा, खुमानी, सेब, बुरांश, कीवी जैसे उत्पादों को मिलेगा बाजार

उत्तराखंड में निवेश, रोजगार और किसानों का विकास सुनिश्चित करेगी धामी सरकार की आबकारी नीति, पहाड़ में वाइनरी लगाने वालों को 15 साल तक आबकारी शुल्क में छूट से पहाड़ों पर बढ़ेगा निवेश, स्थानीय युवाओं को पहाड़ों पर ही मिलेगा रोजगार, माल्टा, खुमानी, सेब, बुरांश, कीवी जैसे उत्पादों को मिलेगा बाजार

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य की आबकारी नीति पर मुहर लगी। दशकों बाद इस बार आबकारी नीति में पहाड़ पर निवेश, रोजगार, स्वरोजगार के साथ ही किसानों की आय दोगुना सुनिश्चित करने का इंतजाम किया गया है। ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिससे उत्तराखंड में वाइनरी सेक्टर में निवेश बढ़ेगा। इससे युवाओं को अपने ही राज्य में रोजगार मिलेगा। स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही पहाड़ों पर किसानों के सड़ कर खराब हो जाने वाले माल्टा, खुमानी, चूलू, सेब, बुरांश जैसे उत्पादों को बाजार मिलेगा। इससे किसानों की आय दोगुना होगी। हॉर्टीकल्चर से जुड़े काश्तकार दोबारा अपने खेतों की ओर लौटेंगे और बंजर होते खेत खलिहान फिर से लहलाएंगे।
सरकार ने आबकारी नीति में पहाड़ पर वाइनरी सेक्टर में निवेश को आकर्षित करने को तय किया है कि जो भी निवेशक पहाड़ पर वाइनरी लगाएगा तो उसे 15 साल तक आबाकारी शुल्क नहीं देना होगा। उत्तराखंड में बनने वाली वाइनरी को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे वाइनरी सेक्टर में राज्य में बड़ा निवेश होगा। हिमाचल, महाराष्ट्र नासिक में बनने वाली वाइन को उत्तराखंड की वाइनरी के उत्पाद न सिर्फ कड़ी टक्कर देंगे, बल्कि राज्य के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। वाइनरी सेक्टर के लिए उत्तराखंड में माहौल, भौगोलिक परिस्थिति बिल्कुल सटीक बैठती हैं। पहाड़ के उत्पाद इन वाइनरी की डिमांड को पूरा करेंगे।
इन वाइनरी में राज्य के युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा। राज्य का फ्रूट प्रोसेसिंग सेक्टर दौड़ पड़ेगा। इससे रोजगार के साथ ही स्वरोजगार के नए विकल्प तैयार होंगे। उत्तराखंड के फ्रूट उत्पादों को घर पर ही बाजार मिलेगा। किसानों के खेतों पर ही उन्हें उनकी फसल का वाजिब दाम मिलेगा। किसान मंडियों में बिचौलियों के हाथों ठगने से बचेंगे।

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