पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर फिर छिड़ी बहस, किसी ने की सुरक्षा की मांग, तीरथ बोले उत्तराखंड में नहीं कोई डर तो क्यों लें सुरक्षा, हरीश रावत बोले कभी नहीं की किसी भी तरह की सुविधा की चाह, हाईकोर्ट भी पूर्व सीएम की सुविधाओं पर लगा चुका है रोक

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर उत्तराखंड में एक नई बहस छिड़ गई है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने अपने लिए वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा सुविधा की मांग की थी। दूसरी ओर पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड में कोई डर नहीं है, तो सुरक्षा की कोई जरूरत नहीं है। पूव्र सीएम हरीश रावत का कहना है कि उन्हें कभी भी सरकार से किसी भी तरह की सुरक्षा की कोई चाह नहीं रही। हाईकोर्ट भी पूर्व सीएम की सुविधाओं पर रोक लगा चुका है। रुलक संस्था की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर कोर्ट ने पूर्व सीएम को मिलने वाली सभी सुविधाओं पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट के इस फैसले के कारण कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार से मिली आवसीय सुविधाओं के लिए बाजार दरों पर लाखों रुपए किराए के तौर पर राज्य संपत्ति विभाग को जमा कराने पड़े थे। इस बीच अब दोबारा से पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाओं को लेकर बहस छिड़ गई है। दो दिन पहले ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और सांसद अनिल बलूनी की सुरक्षा वापस लेने की अफवाह सोशल मीडिया में फैलाई गई। गृह विभाग की ओर से इसका खंडन किया गया। इन खबरों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया गया।
अब इस बीच पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने ये कह कर इस बहस को बड़ा दिया है कि उन्होंने आज तक ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिससे मुझे लगे कि मुझे और अधिक सुरक्षा की जरूरत है। नेताओं की सुरक्षा पर खर्च होने वाला पैसा जनता के काम आना चाहिए। कहा कि जब वे सीएम थे, तब उन्होंने सभी सरकारी सुविधाओं के लिए मना कर दिया था। कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है। यदि हमें यहीं डर लगेगा तो हम जनता को क्या संदेश देंगे। यहां किसी भी तरह का कोई भय नहीं है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि पूर्व सीएम के रूप में मैंने कभी किसी सुविधा की राज्य से आकांक्षा नहीं की। दो पुलिस के लोग भी सरकार भेजना आवश्यक समझती है, इसीलिए मेरे साथ है।

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