*”छूटे हुए कारतूस” बनकर रह गए नेताजी*
उत्तराखंड की राजनीति में मैन इन वेटिंग बनकर रह गए एक नेता जी, अब छूटे हुए कारतूस के रूप में प्रसिद्धि पा रहे हैं। यही वजह है कि अब नेताजी की छटपटाहट अपने चरम पर है। हालत ये हो गए हैं कि अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए साहब कभी प्रोफाइल फोटू बदल रहे हैं तो ताजा कारनामा आला नेताओं के साथ खाना खाने के वीडियो के रूप में सामने आया है। अब बड़ा सवाल ये कि आखिर नेताजी अपना प्रभाव किसे दिखाना चाहते हैं। उससे भी बड़ी बात ये कि इस तरह के वीडियो को बाहर लाकर वो जताना क्या चाहते हैं। अरे भैया, अगर आप वास्तव में दमखम रखते हैं तो इतनी हल्की हरकत की भला क्या जरूरत है। आपको बता दें कि इन नेताजी का उत्तराखंड के विकास में भले कोई बड़ी भूमिका नहीं रही हो लेकिन नाम मात्र के जनाधार के बावजूद ये मुंगेरी लाल के सपने देखने वाले नेताजी महोदय उत्तराखंड को हमेशा अस्थिरता की ओर ले जाने के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। जब जब राज्य में कोई नया मुखिया आता है तो ये उन्हें पैर न जमाने देने के लिए कुख्यात रहे हैं। इस बार तो ये नेताजी महोदय सब साम दंड भेद अपना कर देख चुके लेकिन दाल नहीं गल रही। अपने गुर्गों के जरिए माहौल बनाने में जुटे रहने वाले इन नेताजी की तो अब पूरी क्रेडिबिलिटी ही दांव पर है। सबसे बड़ी बात ये कि अपने चमचों से ये जो दावे करवाते हैं वो हर बार झूठे साबित होते जा रहे। यही कारण है कि इन मैन इन वेटिंग को अब छुटा हुआ कारतूस कहा जाने लगा है। यही से छटपटाहट का दौर इनके लिए शुरू हुआ है। अभी दो दिन पहले साहब ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदली। जब इससे भी काम नहीं चला तो आज संसद की कैंटीन के अंदर का वीडियो गुर्गों के जरिए घूमा दिया। खैर, नेताजी को अब ये समझ लेना चाहिए कि अब वे जनता के सामने भी पूरी तरह से एक्सपोज्ड हो चुके हैं। तो अब ऐसी ओछी और हल्की हरकतों को छोड़ें और राज्य की बेहतरी के लिए वास्तव में कार्य करना शुरू करें।







