देहरादून। सरकार पर खनन में गड़बड़ी, 1500 करोड़ के राजस्व नुकसान, खनन कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के सभी आरोप झूठ निकले। खुद हाईकोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। आरोप लगाने वाली रिट को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। उल्टा सरकार की पॉलिसी के कारण राज्य को बेहद कम समय में 147 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ।
हाईकोर्ट में रवि शंकर जोशी ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सरकार के 28 अक्टूबर 2021 के आदेश में रॉयल्टी की दरों को कम करके सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुँचाया गया। रिट के साथ ही शासन को भी पत्र लिख कर खनन व्यापारियों को फायदा दिये जाने का आरोप लगाया था। आरोप था कि इस आदेश से राज्य को 1500 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है। इस शिकायत की जांच अपर सचिव डा अहमद इकबाल से कराई गई। जांच समिति में अपर सचिव, सिंचाई विभाग, अपर सचिव औद्योगिक विकास (खनन) विभाग को भी शामिल किया गया।
समिति की जांच में कुछ भी गड़बड़ी नहीं पाई गई। कोई भी ऐसा तथ्य एवं आधार नहीं पाया गया, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ हो। जांच में पाया गया कि सरकार को नुकसान की बजाय 147 करोड़ की राजस्व की वृद्धि बेहद कम समय में हुई।
1500 करोड़ के राजस्व नुकसान का कोई भी प्रमाण नहीं मिला। उल्टा साफ हुआ कि अधिसूचना 31 अक्टूबर 2017 और अधिसूचना 28 अक्टूबर 2021 से राज्य को राजस्व प्राप्ति की वृद्धि हुई।
जांच समिति ने शिकायतकर्ता रविशंकर जोशी के आरोपों को को निराधार, असत्य करार दिया। सरकार की ओर से अधिसूचना दिनांक 19 मई 2016 के द्वारा निर्धारित रॉयल्टी दरों में कोई भी परिवर्तन नहीं किया गया। बल्कि बिक्री और अन्य करों मे एकरूपता और समानता लाने के उद्देश्य से शासन की अधिसूचना संख्या 96, दिनांक 20 जनवरी 2023 द्वारा उपखनिज की ब्रिक्री दरों, अन्य दरों की भिन्नता को समाप्त किया गया है।
राज्य सरकार की ओर से जांच समिति की रिपोर्ट को उच्च न्यायालय नैनीताल के सामने रखा गया। 9 जुलाई 2024 को उच्च न्यायालय नैनीताल में हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी की याचिका को आधारहीन मानते हुए रिट को खारिज कर दिया। साफ हुआ कि किसी भी खनन कारोबारी को किसी भी प्रकार का फायदा नहीं पहुंचाया गया। कोर्ट ने भी धामी सरकार की पारदर्शी खनन नीति पर अपनी मुहर लगाई।