
पूर्व सीएम हरीश रावत ने अब कहा है कि श्री #त्रिवेंद्र और श्री #विनोद_चमोली भी अपने प्रिय प्रेम के प्रेम पास में बंधे हुए उनके बचाव में उतरे हैं। मैं दोनों अपने सहृदय मित्रों से यह पूछना चाहता हूं कि क्या उनकी पार्टी के नेताओं की समझ इतनी संकीर्ण हो गई है कि वह उत्तराखंड की सामाजिक संरचना को समझ नहीं पा रहे हैं! पहले उनके एक नेता ने उत्तराखंड की तराई में बसे हुये हमारे बंगाली समुदाय के भाइयों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। हमारे माइनॉरिटीज के भाई तो भाजपा के पंचिंग बॉक्स बने हुए हैं, वहां तो पंच मारकर के उनको वोट आते हैं और अब जो समझदारी श्री प्रेम ने दिखाई है, वह समझ किसी एक समुदाय या किसी एक क्षेत्र का अपमान नहीं है बल्कि उनके शब्द ने उत्तराखंड के मर्म व अस्मिता पर चोट की है, यह उस बुनियादी सोच पर चोट है जिस पर राज्य आंदोलन की लड़ाई लड़ी गई और राज्य प्राप्त किया गया। यही कारण है #कांग्रेस के नेता #प्रीतम सिंह जी, #गणेश जी, #विक्रम जी, #लखपत जी, #आनन्द जी सहित सब लोग आहत हैं और अपने नैतिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। हम विपक्ष हैं, मगर विपक्ष से पहले हम उत्तराखंडी हैं। कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं जिसमें वोट का आंकलन नहीं किया जाता है, जिसमें भावना का सम्मान किया जाता है। अब नारसन से लेकर भटवाड़ी तक और रुद्रपुर से लेकर गूंजी तक आप किसी भी उत्तराखंडी से पूछ लीजिये वह श्री प्रेम के प्रलाप की निंदा करता हुआ ही दिखाई देगा या सुनाई देगा।
त्रिवेंद्र जी, विनोद जी, आप लोगों का यह प्रयास कि आप एक दुष्ट शब्द को राजनीति की जो झीमी चादर पहना रहे हैं, लोग उसके अन्दर जो असलियत है उसको देख रहे हैं और आपके इरादे को भी देख रहे हैं। अच्छा होगा कि आप अपनी पार्टी को इस मामले में सही और कठोर कदम उठाने की सलाह देवें।
#uttarakhand