भाजपा हाईकमान ने उत्तराखण्ड में चुना संतुलन का रास्ता, दलित, ब्राह्मण व ठाकुर के बीच बनाया संतुलन! मुख्यमंत्री ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष ब्राह्मण, कल्पना सैनी महिला और ओबीसी समुदाय से! अनुसूचित जाति के अजय टम्टा को मंत्री बना कर पार्टी ने जातिगत समीकरण को साधने का काम किया

 

केंद्र में मोदी सरकार की स्थापना को पांच सांसद देने वाले उत्तराखंड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निराश नहीं किया है। उत्तराखंड से युवा सांसद अजय टम्टा को केंद्रीय कैबिनेट में जगह देकर भी भाजपा ने बड़ा संदेश दिया है। टम्टा के जरिए भाजपा ने जातीय संतुलन संभालने का काम किया है। इसके जरिए भाजपा ने साफ कर दिया है कि वो दलित पिछड़ा वोट बैंक को किसी भी सूरत में फिसलने नहीं देना चाहती। टम्टा को सीएम पुष्कर सिंह धामी के करीबी होने का भी बड़ा लाभ मिला है।
मौजूदा समय में उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं मंडल से आते हैं। पांच में से दो सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और रानी राज लक्ष्मी भी ठाकुर हैं। सीएम ठाकुर होने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ब्राह्मण हैं। इसके अलावा सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी भी ब्राह्मण हैं। राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी ओबीसी वर्ग से हैं। उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट में भी सतपाल महाराज, धन सिंह रावत ठाकुर हैं। सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, सौरभ बहुगुणा ब्राह्मण हैं। रेखा आर्य दलित समाज से आती हैं। प्रेमचंद अग्रवाल वैश्य समाज से हैं।
इस लिहाज से अजय टम्टा को केंद्रीय कैबिनेट में स्थान देकर भाजपा ने बड़ा जातीय संतुलन साधा है। इसके साथ ही दलित समाज को साथ रखने को बड़ा संदेश दिया है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों हरिद्वार में जिस तरह भाजपा को दलित वोटों का नुकसान हुआ है, उसे साथ जोड़े रखने को भाजपा ने सीमांत जिले से आने वाले अजय टम्टा को केंद्रीय कैबिनेट में स्थान दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड पर खासा फोकस रहता है। पीएम मोदी के आदि कैलाश यात्रा से जिस तरह सीमांत जिले में रौनक लौटी है, उसे देखते हुए भी अजय टम्टा को मंत्री बनाए जाने के बड़े मायने हैं। उत्तराखंड पीएम मोदी के लिए कितना खास है, उसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि गठबंधन सरकार होने के बावजूद उत्तराखंड को कैबिनेट में जगह दी गई है।

सीएम धामी पर रहा चुनाव प्रचार का बड़ा जिम्मा
इस लोकसभा चुनाव में सीएम पुष्कर सिंह धामी पर प्रचार का बड़ा जिम्मा था। न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि देश भर के तमाम राज्यों में सीएम धामी ने धुंआधार प्रचार किया। इन अधिकतर सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत भी दर्ज की। उत्तराखंड में भी पांचों लोकसभा सीटें जीतने के पीछे भी सीएम के आक्रामक प्रचार अभियान को एक बड़ी वजह माना जा रहा है। अजय टम्टा को भी सीएम धामी के करीबी होने का भी लाभ मिलता दिख रहा है।

दो सीटों पर उत्तराखंड में खिसका है वोट बैंक
इस लोकसभा चुनाव में भाजपा भले ही पांचों सीटें जीती हो, लेकिन दो लोकसभा सीट पर भाजपा को वोट बैंक का नुकसान हुआ है। गढ़वाल सीट पर भाजपा को करीब दो लाख और हरिद्वार सीट पर भी भाजपा को पौने दो लाख वोटों का नुकसान हुआ है। वोट बैंक का ये नुकसान आगे चल कर बड़ा न हो, इसके लिए उत्तराखंड को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई है।

 

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