हर आपदा, हर षड्यंत्र से हर बार मजबूत होकर उभरते सीएम धामी, आपदा में ग्राउंड जीरो पर रहकर काम करने वाले सीएम को अस्थिर करने वालों से केंद्र नाराज, दिल्ली वाले षड्यंत्रकारियों पर गिरेगी गाज, अस्थिरता फैलाने वालों से सख्ती से निपटने की तैयारी

दिल्ली। हर आपदा, हर षड्यंत्र से सीएम पुष्कर सिंह धामी हर बार मजबूत होकर उभर रहे हैं। जब भी षड्यंत्रकारियों को लगता है कि वे अपने नापाक मंसूबों में कामयाब होने जा रहे हैं, तभी सीएम धामी का कद और अधिक विराट हो जाता है और जनता का उनके प्रति स्नेह और आशीर्वाद और बढ़ जाता है। ऐसे में भाजपा आलाकमान भी आपदा में ग्राउंड जीरो पर रहकर काम करने वाले सीएम धामी को लगातार अस्थिर करने का कुत्सित प्रयास करने वालों
से सख्त नाराज हो गया है। जल्द मुख्य षड्यंत्रकारी के खिलाफ गाज गिराकर भाजपा केंद्रीय आलाकमान बेहद सख्त संदेश देने जा रहा है।
केंद्र की नजर दिल्ली से लेकर देहरादून तक के षड्यंत्रकारियों पर है। एक एक कर सभी के ऊपर गाज गिराने की तैयारी है। बार बार उत्तराखंड की प्रचंड बहुमत की सरकार को अस्थिर करने वालों से इस बार केंद्र सख्ती से निपटने की तैयारी में है।
केंद्र को भी अब बखूबी मालूम चल गया है कि वो कौन षड्यंत्रकारी है, जिसने पहले सीएम त्रिवेंद्र रावत को पूरे चार साल परेशान करके रखा। अपने मीडिया मैनेजमेंट के दम पर खुद को उत्तराखंड का असल खेवनहार और सरकार को नाकाम दिखाने की कोशिश की गई। तब अखबारों के फ्रंट पेज की सुर्खियां सीएम त्रिवेंद्र रावत नहीं बनते थे, बल्कि दिल्ली में बैठे मीडिया मैनेजमेंट के कथित महारथी हर चीज का क्रेडिट खुद ही लेने में जुटे रहे। जबकि उन महारथी को दिल्ली पहुंचाने में खुद त्रिवेंद्र रावत ने मदद की। दिल्ली पहुंचते ही सबसे पहले मंथरा ने त्रिवेंद्र सरकार की ही जड़ खोदनी शुरू की। और आखिर में त्रिवेंद्र रावत को सीएम पद से हटाकर ही दम लिया।
दूसरे सीएम तीरथ सिंह रावत को तो महज चार महीने में ही कुर्सी से हटवा दिया। चार महीने अपने मीडिया मैनेजमेंट के दम पर ऐसा परेशान किया, उन्हें इतना मजाक का पात्र बना दिया गया कि उन्हें भी कुर्सी से हटना पड़ा। ऐसा कर मंथरा अपने लिए सीएम पद की कुर्सी रिजर्व करवाना चाह रही थी। इस षडयंत्र को दिल्ली समझ चुका था। इसीलिए हर बार सीएम जरूर बदले, लेकिन ताजपोशी मंथरा की जगह कभी तीरथ रावत तो कभी पुष्कर सिंह धामी की हुई।
सीएम पुष्कर धामी के कुर्सी संभालने के बाद मंथरा ने अपने अय्यारों के जरिए अपना जाल बट्टा बुनना शुरू किया। धीरे धीरे घेरेबंदी शुरू की। इस बार मंथरा की दाल ज्यादा न गल पाई और एक एक कर मंथरा का हर प्यादा पिटता चला गया। हर षडयंत्र विफल रहा। हर दूसरे महीने सरकार गिराने का ख्वाब अपने प्यादों को दिखा कर अपनी जमीन को मजबूत करने का प्रयास करता रहा, लेकिन हर बार मुंह की खाने के कारण मंथरा ने तेजी से देहरादून से लेकर अपनी जमीन खो दी। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मोदी कैबिनेट में अजय टम्टा की शपथ से मंथरा की असल हकीकत और दिल्ली दरबार पर मजबूत पकड़ का झूठ बेनकाब हो गया। लगातार मुंह की खाने के बाद मंथरा को मालूम चल गया है कि दिल्ली दरबार में अब उसकी दाल ज्यादा दिन नहीं गलने वाली और नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही उसका दिल्ली दरबार का एपिसोड भी हमेशा के लिए बंद होने वाला है।
इसी को ध्यान में रखते हुए मंथरा ने धामी सरकार को कमजोर करने को फिर एक नया खेल चला है। अपने चुनिंदा प्यादों के जरिए अस्थिरता का खेल खेलने का षडयंत्र रचना शुरू कर दिया है। कभी जोशीमठ आपदा, कभी सिल्क्यारा, कभी पिथौरागढ़, तो कभी केदारनाथ आपदा के नाम पर घेरेबंदी का षडयंत्र रचा। लेकिन हर बार सीएम धामी इन षडयंत्रों और साजिशों से और मजबूती के साथ उभर कर सामने आए। अब इन अस्थिरता के मामलों को हवा देने वालों को लेकर दिल्ली दरबार बेहद सख्त हो गया है। जल्द ऐसे षडयंत्रकारियों की मुख्य धारा से बेदखली की तैयारी का प्लान दिल्ली दरबार ने बना लिया है।

सम्बंधित खबरें