स्वतंत्रता दिवस पर लें उत्तराखंड को क्षेत्रवाद, जातिवाद से आजाद करने का संकल्प, निजी स्वार्थों के लिए क्षेत्रवाद की खाई पैदा करने वाले नेताओं को कहें अंग्रेजों उत्तराखंड छोड़ो, बाबा केदारनाथ और जागेश्वर में भेद करने वालों से उत्तराखंड को कराएं आजाद

देहरादून। देश ने गुरुवार को 78 वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया। देश की आजादी के 78 साल होने के बावजूद उत्तराखंड को अभी भी कई कुरितियों से आजाद होने की जरूरत है। इसीलिए स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उत्तराखंड के लोगों को क्षेत्रवाद, जातिवाद से आजाद करने का संकल्प लेना है। निजी स्वार्थों के लिए क्षेत्रवाद की खाई पैदा करने वाले नेताओं से कहना होगा कि अंग्रेजों उत्तराखंड छोड़ो। बाबा केदारनाथ और जागेश्वर में भेद पैदा करने वालों से उत्तराखंड को आजाद कराने का संकल्प लेना होगा।
24 साल के उत्तराखंड में जब भी सीएम गढ़वाल से बना, तो कुमाऊं की उपेक्षा का आरोप लगते रहे। सीएम कुमाऊं से बना तो निजी स्वार्थों के लिए गढ़वाल की उपेक्षा, क्षेत्रवाद के आरोप लगाए गए। क्षेत्रवाद के साथ ही जातिवाद के आरोप लगाने से भी ये अंग्रेज कभी नहीं चूके। अब जब इन अंग्रेजों की मानसिकता वाले नेताओं को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया है, तो अपनी राजनीति चमकाने को ये बाबा केदारनाथ और जागेश्वर के बीच भी भेद पैदा करने से नहीं चूक रहे हैं। उत्तराखंड के लोगों को इन लोगों की खतरनाक मानसिकता को न सिर्फ समझना होगा, बल्कि समय रहते सचेत रहना होगा। समय रहते क्षेत्रवाद, जातिवाद का जहर बोने वाले इन अंग्रेजों से सतर्क न हुए, तो इससे एक समग्र उत्तराखंड की पहचान का भविष्य में संकट खड़ा होना तय है।
क्योंकि ये अंग्रेज सिर्फ क्षेत्रवाद के नाम गढ़वाल, कुमाऊं के बीच ही भेद पैदा कर शांत नहीं रहने वाले। इनके गढ़वाल मंडल में भी निजी स्वार्थ सिर्फ पौड़ी जिले तक ही सीमित रहते हैं। इनके लिए गढ़वाल का अर्थ सिर्फ पौड़ी जिला ही है। सरकारों में कैबिनेट मंत्री भी बनेंगे, तो अधिकतर पौड़ी से ही बनेंगे। सीएम बनेंगे तो वो भी पौड़ी से ही बनेंगे। स्पीकर बनेंगी तो वो भी पौड़ी से ही बनेंगी। इसके बावजूद उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग के जिलों ने कभी उपेक्षा और क्षेत्रवाद का आरोप नहीं लगाया। हर बार क्षेत्रवाद का हल्ला पौड़ी जिले से ही सियासत करने वालों ने ही मचाया। इस बार भी पौड़ी जिले की जनता की ओर से ठुकराए गए नेताजी को क्षेत्रवाद की याद आ रही है।
वे फिर बाबा केदारनाथ की उपेक्षा की मनगढ़ंत कहानी सुना कर क्षेत्रवाद का जहर बो रहे हैं। नेताजी की नजर केदारनाथ विधानसभा सीट पर है। जहां से वो अपनी खोए राजनीतिक वजूद को पाने को तड़प रहे हैं। जबकि इन नेताजी ने उत्तराखंड को सबसे अधिक दाग दिए हैं। भ्रष्टाचार, चरित्र हनन, महिला आरोप, दल बदल हर बुराई के ये मास्टर हैं। बेशर्मी ऐसी की अपनी इन सभी बुराइयों को अपनी उपलब्धि मानते हैं।
इन लोगों से समय रहते सतर्क न रहने का खामियाजा उत्तराखंड को आने वाले वर्षों में गंभीर रूप से भुगतना होगा। आज उत्तराखंड का युवा इस क्षेत्रवाद, जातिवाद से ऊपर उठ चुका है। पहले उत्तराखंड में टिहरी और पौड़ी तक के बीच बेटी ब्वारी का सम्बन्ध जल्दी से नहीं होता था। आज का युवा विवाह संस्कारों में क्षेत्रवाद, जातिवाद का भेद नहीं करता।

गढ़वाल की उपेक्षा का ये कैसा आरोप
उत्तराखंड की सियासत में आज कल गढ़वाल की उपेक्षा के आरोप लगाए जा रहे हैं। ये कैसे आरोप हैं। 24 सालों में यदि उत्तराखंड में खर्च हुए बजट का हिसाब किताब कर लिया जाए, तो 65 प्रतिशत पैसा सिर्फ गढ़वाल क्षेत्र में ही खर्च हुआ है। ट्रेन आज कर्णप्रयाग पहुंचने जा रही है। गंगोत्री, यमुनोत्री तक ट्रेन पहुंचाने का सर्वे और डिजाइन तक तैयार हो चुका है। जबकि टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन का अभी कहीं कुछ अता पता नहीं है। ऑल वेदर रोड से आज ऋषिकेश से चमोली तक पहुंचने में कुछ समय नहीं लगता। ऑल वेदर रोड का 95 प्रतिशत सबसे अधिक पैसा गढ़वाल मंडल में खर्च हुआ है। अस्थाई राजधानी देहरादून के साथ ही स्थाई राजधानी गैरसैंण और अस्थाई राजधानी में भी स्थाई विधानसभा भवन रायपुर में बनाने की तैयारी है। ये तीनों भी गढ़वाल मंडल का ही हिस्सा हैं। सबसे अधिक मेडिकल कालेज, यूनिवर्सिटी, निजी मेडिकल कालेज, पर्यटन कारोबार, व्यापार, चार धाम यात्रा, हरिद्वार, ऋषिकेश सभी कुछ गढ़वाल में है। कुमाऊं में आज भी कैंची धाम से अल्मोड़ा जाने वाली रोड जर्जर हाल है। मुनस्यारी, धारचूला, आदि कैलाश तक पहुंचना किसी जोखिम से कम नहीं है। सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा पर खर्च होने वाले बजट का 60 प्रतिशत हिस्सा गढ़वाल मंडल पर ही खर्च होता है। जिस चार धाम यात्रा को कुमाऊं में डायवर्ट करने के मनगढंत आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें ये नहीं मालूम की पिछले तीन सालों में चार धाम यात्रा हर साल अपने पिछले रिकॉर्ड को ही ध्वस्त करती आ रही है। इस साल भी इतनी बढ़ी संख्या में श्रद्धालु चारों धामों में उमड़ रहे हैं कि जाम जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। ऐसे में बाबा केदार और बाबा जागेश्वर धाम को बांटने वालों से आजाद होने की जरूरत है।

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